Saturday, July 18, 2015

रसोई टिप्स

आमतौर पर रसोई में छोटी छोटी समस्याएं आती रहती हैं,जो ग्रहणियों के लिए सर दर्द बन जाती हैं|यहाँ दिये कुछ टिप्स आपका काम आसान कर देंगे और आपका काम सुविधाजनक हो जायेगा|
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1.यदि पहले कि पकी हुई सब्जियां या गुंधा आटा फ्रिज में रखा हुआ हो,तो उतना ही निकालें जितना जरूरत है,क्यूंकि बार बार बाहर निकलने और फिर फ्रिज में वापिस रखने से खाद् सामग्री जल्दी खराब हो जाती है|
2. नमकदानी में नमक अक्सर जम जाता है|सील से बचाने के लिए उसमे तीन-चार चावल के दाने डाल दें|
3. फ्रिज में सभी खाद् सामग्रियों को ढककर रखें|
4. फ्रीजर में से बर्फ कि ट्रे झटके के साथ अथवा किसी पैनी वस्तु से न निकालें|ट्रे
के नीचे ग्लिसरीन मल दें वः आसानी से निकल जायेगी|
5. दूध को एक उबाल दे कर ही प्रयोग करें ज्यादा उबाले देने से उसके पोष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं|
6. दूध से आटा गूंध कर परांठे बनाएँ अधिक खस्ता और स्वाद बनेगे|
7. रोटी बनाने से दस मिनट पहले आटा बाहर निकल लें इस से आटा खींचेगा नही और रोटियां आराम से बनेगी|
8. प्याज काटने से पहले चाक़ू कि नोक पे एक कच्चा आलू छिल कर लगा लें.आँखों में आंसू नही आयेंगे|
9. मीठे बिस्कूट का कुरकुरापन बरकरार रखने के लिए कंटेनर में एक चमच चीनी डाल दें,और उसके ऊपर बिस्कुट रखें|लंबे समय तक बिस्कुट कुरकुरे रहेंगे,यहाँ तक कि बरसातों में भी खराब नही होंगे|
10. रसोई में अगर चाकू पर जंग लग जाये तो उसे प्याज में घोंप के रखें|10-15 मिनट बाद निकाल लें|फिर धोए|चाकू साफ़ हो जायेगा|
11. फ्रिजर में पोलिथिन बिछा कर बर्फ कि ट्रे रखें| ट्रे निकलने में परेशानी नही होगी|
12. यदि आपके हाथ में किसी भी मसाले के दाग लगे हों तो कच्चा आलू काटकर रगड़िये धब्बे दूर हो जायेंगे|
13. यदि आलू में रखे रखे झुर्रियाँ पड़ गयी हों तो उन्हें नमक डालकर उबालें|आलू का बासीपन चला जायेगा|
14. चावल जब पकने पे आ जाये तो उसमे कुछ बूंदे निम्बू का रस निचोड़ दें|चावल महकदार व खिला खिला बनेगा|
15. सेंडविच काटने के लिए जिस चाकू का इस्तेमाल करें,उसे हल्का सा गर्म कर लें ,इससे सेंडविच काटने में आसानी होगी|
16. बेलन को फ्रिज में ठंडा करके रोटी बेलने से आटा नहीं चिपकता|
17.बादाम काजू के डिब्बों में 2-3 लौंग डालकर रखें,कीड़ा नही लगेगा|
मित्रों से मेरी विनती है इस पोस्ट को शेयर करे और आगे बढ़ाए.ताकी पूरा भारत स्वास्थ हो।

Wednesday, June 10, 2015

Presence of mind helps

In a Store a man asked for 1/2 kg of butter.

The salesperson, a young boy, said that only 1kg packs were available in the Store.

But the man insisted on buying only 1/2 kg.

So the boy went inside to the Manager's room and said "An idiot outside wants to buy only 1/2 kg of butter".

To his surprise, the customer was standing right behind him..... !!

So the boy added immediately, "And this gentleman wants to buy the other half... !!"

After the customer left, the Manager said "You have saved your position by being clever enough at the right time. Where do you come from?"

To this the boy said, "I come from Brazil. The place consists of only prostitutes and football players.... !!"

The Manager replied coldly, "My wife is also from Brazil ".

To this the boy asked excitedly, "Oh yeah? Which team does she play for?"

Moral:- Presence of mind helps, Never Panic....!!!

पानी से भरा एक ग्लास

एक मनोवैज्ञानिक स्ट्रेस मैनेजमेंट के बारे में, अपने दर्शकों से मुखातिब था..

उसने पानी से भरा एक ग्लास उठाया...

सभी ने समझा की अब "आधा खाली या आधा भरा है".. यही पूछा और समझाया जाएगा..

मगर मनोवैज्ञानिक ने पूछा.. कितना वजन होगा इस ग्लास में भरे पानी का..??

सभी ने.. 300 से 400 ग्राम तक अंदाज बताया..

मनोवैज्ञानिक ने कहा.. कुछ भी वजन मान लो..फर्क नहीं पड़ता..

फर्क इस बात का पड़ता है.. की मैं कितने देर तक इसे उठाए रखता हूँ

अगर मैं इस ग्लास को एक मिनट तक उठाए रखता हूँ.. तो क्या होगा?

शायद कुछ भी नहीं...

अगर मैं इस ग्लास को एक घंट तक उठाए रखता हूँ.. तो क्या होगा?

मेरे हाथ में दर्द होने लगे.. और शायद अकड़ भी जाए.

अब अगर मैं इस ग्लास को एक दिन तक उठाए रखता हूँ.. तो ??

मेरा हाथ... यकीनऩ, बेहद दर्दनाक हालत में होगा, हाथ पैरालाईज भी हो सकता है और मैं हाथ को हिलाने तक में असमर्थ हो जाऊंगा

लेकिन... इन तीनों परिस्थितियों में ग्लास के पानी का वजन न कम हुआ.. न ज्यादा.

चिंता और दुःख का भी जीवन में यही परिणाम है।

यदि आप अपने मन में इन्हें एक मिनट के लिए रखेंगे..

आप पर कोई दुष्परिणाम नहीं होगा..

यदि आप अपने मन में इन्हें एक घंटे के लिए रखेंगे..

आप दर्द और परेशानी महसूस करने लगेंगें..

लेकिन यदि आप अपने मन में इन्हें पूरा पूरा दिन बिठाए रखेंगे..

ये चिंता और दुःख..  हमारा जीना हराम कर देगा.. हमें पैरालाईज कर के कुछ भी सोचने - समझने में असमर्थ कर देगा..

और याद रहे..
इन तीनों परिस्थितियों में चिंता और दुःख.. जितना था,  उतना ही रहेगा..

इसलिए.. यदि हो सके तो.. अपने चिंता और दुःख से भरे "ग्लास" को...

एक मिनट के बाद..
नीचे रखना न भुलें..
सुखी रहे, स्वस्थरहे.          
power of  positive  Thinking.

Monday, June 1, 2015

शिक्षाप्रद कहानी - Be Professional

रात में एक चोर घर में घुसता है। कमरे का दरवाजा खोला तो मुसहरी पर एक बूढ़ी औरत सो रही थी। खटपट से उसकी आंख खुल गई। चोर ने घबरा कर देखा तो वह लेटे लेटे बोली '' बेटा, तुम देखने से किसी अच्छे घर के लगते हो, लगता है किसी परेशानी से मजबूर होकर इस रास्ते पर लग गए हो। चलो कोई बात नहीं। अलमारी के तीसरे बक्से में एक तिजोरी है ।
इसमें का सारा माल तुम चुपचाप वह ले जाना। मगर पहले मेरे पास आकर बैठो, मैंने अभी-अभी एक ख्वाब देखा है । वह सुनकर जरा मुझे इसकी ताबीर तो बता दो।
'' चोर उस बूढ़ी औरत की रहमदिली से बड़ा मुतास्सिर हुआ और चुपचाप उसके पास जाकर बैठ गया। बुढ़िया ने अपना सपना सुनाना शुरु किया '' बेटा मैंने देखा कि मैं एक रेगिस्तान में खो गइ हूँ। ऐसे में एक चील मेरे पास आई और उसने 3 बार जोर जोर से बोला
माजिद। । माजिद। । माजिद !!!
 बस फिर ख्वाब खत्म हो गया और मेरी आंख खुल गई। जरा बताओ तो इसकी क्या ताबीर हुई? ''

चोर सोच में पड़ गया। इतने में बराबर वाले कमरे से बुढ़िया का नोजवान बेटा माजिद अपना नाम ज़ोर ज़ोर से सुनकर उठ गया और अंदर आकर चोर की जमकर कुत्ता बना के ठुकाई लगाई। बुढ़िया बोली ''बस करो अब यह अपने किए की सजा भुगत चुका।

'' चोर बोला; नहीं नहीं मुझे और कूटो सालों ताकि मुझे आगे याद रहे कि मैं चोर हूँ सपनों की ताबीर बताने वाला नहीं। ''
    
Moral - B Professional

Sunday, May 31, 2015

Negative Peoples Always Thinks Negative.

एक आदमी सब शरीफ पतियों की तरह अपने बीवी से तंग था.

उसकी बीवी हर काम में नुक्स निकालती थी. अगर वो अंडा बॉईल कर देता तो कहती के फ्राय करना था, अगर फ्राय करता तो कहती थी के बॉईल करना था. एक दिन पति ने दोनों बना दिए..

पहले तो वो दोनों अंडो कों गौर से देखती रही, फिर कहने लगी..

“तुम्हे अकल कब आयेंगी. जिस अंडे कों फ्राय करना था उस कों बॉईल कर दिया और जिस कों बॉईल करना था उसको फ्राय...

Saturday, May 23, 2015

John D. Rockefeller & एक युवक

अमेरिका की बात हैं. एक युवक को व्यापार में बहुत नुकसान उठाना पड़ा.
उसपर बहुत कर्ज चढ़ गया, तमाम जमीन जायदाद गिरवी रखना पड़ी . दोस्तों ने भी मुंह फेर लिया,
जाहिर हैं वह बहुत हताश था. कही से कोई राह नहीं सूझ रही थी.
आशा की कोई किरण दिखाई न देती थी.
एक दिन वह एक park में बैठा अपनी परिस्थितियो पर चिंता कर रहा था.
तभी एक बुजुर्ग वहां पहुंचे. कपड़ो से और चेहरे से वे काफी अमीर लग रहे थे.
बुजुर्ग ने चिंता का कारण पूछा तो उसने अपनी सारी कहानी बता दी.
बुजुर्ग बोले -” चिंता मत करो. मेरा नाम John D. Rockefeller है.
मैं तुम्हे नहीं जानता,पर तुम मुझे सच्चे और ईमानदार लग रहे हो. इसलिए मैं तुम्हे दस लाख डॉलर का कर्ज देने को तैयार हूँ.”
फिर जेब से checkbook निकाल कर उन्होंने रकम दर्ज की और उस व्यक्ति को देते हुए बोले, “नौजवान, आज से ठीक एक साल बाद हम ठीक इसी जगह मिलेंगे. तब तुम मेरा कर्ज चुका देना.”
इतना कहकर वो चले गए.
युवक shocked था. Rockefeller
तब america के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक थे.
युवक को तो भरोसा ही नहीं हो रहा था की उसकी लगभग सारी मुश्किल हल हो गयी.
उसके पैरो को पंख लग गये.
घर पहुंचकर वह अपने कर्जो का हिसाब लगाने लगा.
बीसवी सदी की शुरुआत में 10 लाख डॉलर बहुत बड़ी धनराशि होती थी और आज भी है.
अचानक उसके मन में ख्याल आया. उसने सोचा एक अपरिचित व्यक्ति ने मुझपे भरोसा किया,
पर मैं खुद पर भरोसा नहीं कर रहा हूँ.
यह ख्याल आते ही उसने चेक को संभाल कर रख लिया.
उसने निश्चय कर लिया की पहले वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेगा,
पूरी मेहनत करेगा की इस मुश्किल से
निकल जाए. उसके बाद भी अगर कोई चारा न बचे तो वो check use करेगा.
उस दिन के बाद युवक ने खुद को झोंक दिया.
बस एक ही धुन थी,
किसी तरह सारे कर्ज चुकाकर अपनी प्रतिष्ठा को फिर से पाना हैं.
उसकी कोशिशे रंग लाने लगी. कारोबार उबरने लगा, कर्ज चुकने लगा. साल भर बाद तो वो पहले से भी अच्छी स्तिथि में था.
निर्धारित दिन ठीक समय वह बगीचे में पहुँच गया.
वह चेक लेकर Rockefeller की राह देख रहा था
की वे दूर से आते दिखे.
जब वे पास पहुंचे तो युवक ने बड़ी श्रद्धा से उनका अभिवादन किया.
उनकी ओर चेक बढाकर उसने कुछ कहने के लिए मुंह खोल ही था की एक नर्स भागते हुए आई
और
झपट्टा मरकर वृद्ध को पकड़ लिया.
युवक हैरान रह गया.
नर्स बोली, “यह पागल बार बार पागलखाने से भाग जाता हैं
और
लोगो को जॉन डी . Rockefeller के रूप में check बाँटता फिरता हैं. ”
अब वह युवक पहले से भी ज्यादा हैरान रह गया.
जिस check के बल पर उसने अपना पूरा डूबता कारोबार फिर से खड़ा किया,वह
फर्जी था.
पर यह बात जरुर साबित हुई की वास्तविक जीत हमारे इरादे , हौंसले और प्रयास में ही होती हैं.
हम सभी यदि खुद पर विश्वास रखे तो यक़ीनन
किसी भी असुविधा से, situation से निपट सकते है.
" हमेशा हँसते रहिये,
एक दिन ज़िंदगी भी
आपको परेशान
करते करते थक जाएगी ।"

Sunday, May 10, 2015

महत्वपूर्ण जानकारी रेल यात्रियों के लिए

एक तरफ टिकट काउंटर पर लंबी लाइन और दूसरी ओर प्लेटफार्म पर खड़ी ट्रेन। टिकट लेना भी जरूरी है मगर इस फेर में ट्रेन छूटने की टेंशन भी है। ऐसी दुविधा लगभग हर यात्री के सामने अक्सर आती है।

अब ये दिन गए, ऐसे दिन आ रहे हैं जो यात्रियों के लिए टिकट के मामले में बेहद राहत भरे हैं। उन्हें टिकट विंडो पर लंबा इंतजार नहीं करना होगा। ट्रेन का टिकट ट्रेन में ही मिल जाएगा। फिलहाल, सुपरफास्ट ट्रेनों में यह व्यवस्था लागू कर दी गई है। जल्द ही बाकी ट्रेनों में भी यही व्यवस्था होगी। इसके लिए टीटीई को टिकट शीन (हैंड-हेल्ड) मिलनी शुरू हो चुकीं हैं।

रेलवे ने प्रथम चरण में सुपरफास्ट ट्रेन लखनऊ मेल, गरीब रथ, अर्चना सुपरफास्ट, राजधानी सुपरफास्ट आदि के टीटीई को हैंड-हेल्ड मशीन दी है। मशीन रेलवे के पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम (पीआरएस) सर्वर से कनेक्ट रहेगी। इससे ट्रेन के हर कोच में खाली बर्थ और किस स्टेशन पर मुसाफिर उतरेगा, इसकी जानकारी मिलती रहेगी।

बिना टिकट लिए ट्रेन में चढ़ने वाले यात्री सीधे टीटीई से मिलेंगे। तय किराये से दस रुपये अतिरिक्त लेकर टीटीई इसी मशीन से टिकट देंगे। इसके अलावा मशीन के जरिये ही वेटिंग टिकट वाले मुसाफिरों को बर्थ खाली होते ही मिल जाएगी।

टीटीई की मनमानी होगी खत्म
ट्रेन छूटने की जल्दी में सवार होने वाले मुसाफिरों से टीटीई और स्क्वायड के सिपाही मनमाना जुर्माना एवं रुपयों की वसूली करते हैं। इसके साथ ही वेटिंग टिकट वाले यात्रियों को बर्थ न होने की बात कहकर बर्थ नहीं देते थे। मगर हैंड-हेल्ड मशीन से यात्री भी अपनी बर्थ की पोजीशन देख सकेंगे।

ट्रेन में चढ़ते ही टीटीई को बताना होगा~~यात्री को ट्रेन में सवार होते ही टीटीई को बताना होगा कि उसने टिकट नहीं लिया है। मशीन से टिकट बनवाना है। चेकिंग के दौरान यदि टीटीई ने बिना टिकट पकड़ा तो जुर्माना पड़ेगा। इसीलिए टीटीई को हैंड-हेल्ड मशीन दी जा रही हैं। सुपरफास्ट ट्रेनों में यात्री सवार होने के बाद भी टीटीई से टिकट ले सकेंगे।

- नीरज शर्मा, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, उत्तर रेलवे

Sunday, May 3, 2015

विद्यालय और निरीक्षण

आज विद्यालय में बहुत चहल पहल है ।
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सब कुछ साफ - सुथरा , एक दम सलीके से ।
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सुना है निरीक्षण को कोई साहब आने वाले हैं ।
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पूरा विद्यालय चकाचक ।
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नियत समय पर साहब विद्यालय पहुंचे ।
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ठिगना कद , रौबदार चेहरा , और आँखें तो जैसे जीते जी पोस्टमार्टम कर दें ।
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पूरे परिसर के निरीक्षण के बाद उनहोंने कक्षाओं का रुख किया ।
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कक्षा पांच के एक विद्यार्थी को उठा कर पूछा , बताओ देश का प्रधान मंत्री कौन है ?
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बच्चा बोला -जी राम लाल ।
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साहब बोले -बेटा प्रधान मंत्री ?
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बच्चा - रामलाल ।
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अब साहब गुस्साए - अबे तुझे पांच में किसने पहुंचाया ? पता है मैं तेरा नाम काट सकता हूँ ।
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बच्चा -
कैसे काटोगे ?
मेरा तो नाम ही नहीं लिखा है ।
मैं तो बाहर बकरी चरा रहा था ।
इस मास्टर ने कहा कक्षा में बैठ जा दस रूपये मिलेंगे ।
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तू तो ये बता रूपये तू देगा या मास्टर ?
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साहब भुनभुनाते हुवे मास्टर जी के पास गए ,
कडक आवाज में पूछा -
क्या मजाक बना रखा है ।
फर्जी बच्चे बैठा रखे हैं ।
पता है मैं तुम्हे नौकरी से बर्खास्त कर सकता हूँ ।
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गुरूजी -
कर दे भाई ।
मैं कौन सा यहाँ का मास्टर हूँ ।
मास्टर तो मेरा पड़ोसी दुकानदार है ।
वो दुकान का सामान लेने शहर गया है।
कह रहा था एक खूसट साहब आएगा , झेल लेना ।
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अब तो साहब का गुस्सा सातवें आसमान पर ।
पैर पटकते हुए प्रधानाध्यापक के सामने जा पहुंचे ।
चिल्लाकर बोले ,
" क्या अंधेरगर्दी है
, शरम नहीं आती ।
क्या इसी के लिए तुम्हारे स्कूल को सरकारी इमदाद मिलती है ।
पता है ,मैं तुम्हारे स्कूल की मान्यता समाप्त कर सकता हूँ
जवाब दो प्रिंसिपल साहब ।
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प्रिंसिपल ने दराज से एक सौ की गड्डी निकाल कर मेज पर रखी और बोला -
मैं कौन सा प्रिंसिपल हूँ
प्रिंसिपल तो मेरे चाचा हैं ।
प्रॉपर्टी डीलिंग भी करते हैं
आज एक सौदे का बयाना लेने शहर गए हैं ।
कह रहे थे ,
एक कमबख्त निरीक्षण को आएगा , उसके मुंह पे ये गड्डी मारना और दफा करना ।
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साहब ने मुस्कराते हुए गड्डी जेब के हवाले की और बोले - आज बच गये तुम सब । अगर आज मामाजी को सड़क के ठेके के चक्कर में शहर ना जाना होता , और अपनी जगह वो मुझे ना भेजते तो तुम में से एक की भी नौकरी ना बचती ।

It happens only in india.

Friday, May 1, 2015

आप किसी का जीवन बचा सकते है

पहली घटना: एक छोटा बच्चा इसलिए मर गया क्योंकि डॉक्टर को उसके दिमाग में चींटियाँ ही चींटियाँ मिली ! जो स्पष्ट करता है कि बच्चा या तो मुँह में कोई मीठी चीज रख के सो गया या या उसके बगल में सोते समय कोई खाने की मीठी चीज रखी रह गई. चींटियाँ उसके पास पहुँच गईं और उसके कान के अंदर घुस गई  और वहाँ से किसी तरह उसके दिमाग तक पहुँच गयी. जब बच्चा जागा उसे पता भी नहीं चला की चींटियाँ उसके सिर में पहुँच गई. उसके बाद उसने लगातार अपने चेहरेे में खुजलाहट की शिकायत की. उसकी माँ उसको डॉक्टर के पास ले गई पर डॉक्टर को भी तत्काल कुछ समझ नहीं आया कि उसके साथ क्या परेशानी है.जब उसने बच्चे का   X-ray लिया तब घटना की भयंकरता का पता चला। उसने जीवित चींटियों की भीड़ को उसकी खोपड़ी में रेंगते देखा,पर डॉक्टर ऑपरेशन  नहीं कर सका क्योंकि चींटियाँ लगातार एक स्थान से दूसरी स्थान तक उसके दिमाग में घूम रहीं थीं। अंत में बच्चा मर गया। अतः बिस्तर में खाते समय कोई भी खाने की चीज बिस्तर के पास न छोड़े । खाने की चीज चींटियों को आकर्षित कर सकती है। और सबसे महत्वपुर्ण  बिस्तर में जाने से पहले आप या आपके बच्चों को मिठाई नहीं खानी चाहिए । ऐसा करके आप  या आपके बच्चे सोते समय चींटियों को निमंत्रण देंगे।

दूसरी घटना: ऐसी ही सामान घटना ताइवान के हॉस्पिटल में हुई । यह व्यक्ति हॉस्पिटल में एडमिट था। उसे  नर्सों के द्वारा लगातार चेतावनी दी गई थी की हॉस्पिटल में चींटियों की समस्या है अतः कोई भी खाने की चीज अपने बिस्तर के पास न रखे। पर उसने उनकी सलाह पे ध्यान ही नहीं दिया। और अंत में चींटियों का शिकार बन गया । उसके परिवार वालों ने बताया की वह लगातार सर दर्द की शिकायत करता था। वह मर गया और उसका पोस्ट मोरटम या ऑटोप्सी किया गया। डॉक्टरों ने उसके सिर में जिन्दा चींटियों का समूह पाया । स्पष्ट बात है की चींटियाँ उसके दिमाग के एक हिस्से को खा रहीं थीं। तो मित्रों,  दुःख मनाने से अच्छा सुरक्षित रहना है। जब भी आप सोने जाएं अपने बिस्तर के पास खाने पिने की चीज न  छोड़ें। यदि आप  किसी के जीवन का ध्यान रखते हैं....... तो सन्देश को आगे भेजें।

बॉस ने आत्महत्या कर ली

बॉस ने एक चुलबुली, निहायत ही खूबसूरत
सेक्रेटरी को काम पर रखा l

लेकिन 10 दिन बाद ही 27वें माले से कूद कर
बॉस ने आत्महत्या कर ली l

इंस्पेक्टर :-
"कमरे में उस वक़्त कौन मौज़ूद था ?

सेक्रेटरी:-
"जी,...मैं थी l

इंस्पेक्टर :-
"आख़िर हुआ क्या?
उसने ख़ुदकुशी क्यूँ
की?

सेक्रेटरी:-
"वह बहुत अच्छे इंसान थे l एक दिन
उन्होंने मुझे 2 लाख रुपये का ड्रेस
उपहार में दिया l...

फिर एक दिन उन्होंने मुझे
15 लाख की कीमत वाला हीरों का हार
खरीद कर दिया l.. परसों ही वह मेरे लिए 5
लाख की हीरे की अंगूठी ले कर आए थे l...यह
रही मेरी उंगली में l

इंस्पेक्टर :-
"फिर

सेक्रेटरी:-
"तभी मेरे पापा का फोन आया, मैंने कहा :- आप यहाँ होते तो देखते मेरे बाॅस मुझे कितना प्यार करते हैं, आप तो हमेशा बस यही कहते हो, पप्पू बेटा लड़की बनकर मत घूमा कर।.

शिक्षा :- Market में पैसा लगाने से पहले Product की पूरी जानकारी प्राप्त कर लें।

आप किसी का जीवन बचा सकते है

पहली घटना: एक छोटा बच्चा इसलिए मर गया क्योंकि डॉक्टर को उसके दिमाग में चींटियाँ ही चींटियाँ मिली ! जो स्पष्ट करता है कि बच्चा या तो मुँह में कोई मीठी चीज रख के सो गया या या उसके बगल में सोते समय कोई खाने की मीठी चीज रखी रह गई. चींटियाँ उसके पास पहुँच गईं और उसके कान के अंदर घुस गई  और वहाँ से किसी तरह उसके दिमाग तक पहुँच गयी. जब बच्चा जागा उसे पता भी नहीं चला की चींटियाँ उसके सिर में पहुँच गई. उसके बाद उसने लगातार अपने चेहरेे में खुजलाहट की शिकायत की. उसकी माँ उसको डॉक्टर के पास ले गई पर डॉक्टर को भी तत्काल कुछ समझ नहीं आया कि उसके साथ क्या परेशानी है.जब उसने बच्चे का   X-ray लिया तब घटना की भयंकरता का पता चला। उसने जीवित चींटियों की भीड़ को उसकी खोपड़ी में रेंगते देखा,पर डॉक्टर ऑपरेशन  नहीं कर सका क्योंकि चींटियाँ लगातार एक स्थान से दूसरी स्थान तक उसके दिमाग में घूम रहीं थीं। अंत में बच्चा मर गया। अतः बिस्तर में खाते समय कोई भी खाने की चीज बिस्तर के पास न छोड़े । खाने की चीज चींटियों को आकर्षित कर सकती है। और सबसे महत्वपुर्ण  बिस्तर में जाने से पहले आप या आपके बच्चों को मिठाई नहीं खानी चाहिए । ऐसा करके आप  या आपके बच्चे सोते समय चींटियों को निमंत्रण देंगे।

दूसरी घटना: ऐसी ही सामान घटना ताइवान के हॉस्पिटल में हुई । यह व्यक्ति हॉस्पिटल में एडमिट था। उसे  नर्सों के द्वारा लगातार चेतावनी दी गई थी की हॉस्पिटल में चींटियों की समस्या है अतः कोई भी खाने की चीज अपने बिस्तर के पास न रखे। पर उसने उनकी सलाह पे ध्यान ही नहीं दिया। और अंत में चींटियों का शिकार बन गया । उसके परिवार वालों ने बताया की वह लगातार सर दर्द की शिकायत करता था। वह मर गया और उसका पोस्ट मोरटम या ऑटोप्सी किया गया। डॉक्टरों ने उसके सिर में जिन्दा चींटियों का समूह पाया । स्पष्ट बात है की चींटियाँ उसके दिमाग के एक हिस्से को खा रहीं थीं। तो मित्रों,  दुःख मनाने से अच्छा सुरक्षित रहना है। जब भी आप सोने जाएं अपने बिस्तर के पास खाने पिने की चीज न  छोड़ें। यदि आप  किसी के जीवन का ध्यान रखते हैं....... तो सन्देश को आगे भेजें।

Tuesday, April 28, 2015

नेपाल हिला, भारत हिला ....

नेपाल हिला, भारत हिला और हिल गया पाकिस्तान, न मसीह आए, न अल्लाह आए और कहाँ गए भगवान् । हैं कौन हिन्दू, कौन ईसाई और कौन है मुसलमान, प्रकृति के आगे है बेवश हर इंसान ।। हैं समान सब उसकी नजर में, वहाँ नहीं चलता बाइबल, वेद और कुरान। मत उलझ इस पाखण्ड में, अब तो जाग जा ए इंसान ।।

Wednesday, April 22, 2015

फेसबुक और व्हाट्सअप क्रांतिकारी दौर

फेसबुक और व्हाट्सअप अपने क्रांतिकारी दौर से गुजर रहा है...

हर लौंडा
क्रांति करना चाहता है...
कोई बेडरूम में लेटे लेटे गौहत्या
करने वालों को सबक सिखाने कि बातें कर रहा है तो
किसीके इरादे सोफे पर बैठे बैठे मुसलमानों या बांग्लादेशियों को
उखाड फेंकने के हो रहे हैं...

कुछ, हफ्ते में एक दिन नहाने वाले स्वच्छता अभियान की
खिलाफत और समर्थन कर रहे हैं ।

अपने बिस्तर से उठकर एक
गिलास पानी लेने पर नौबेल पुरस्कार कि उम्मीद रखने वाले
बता रहे हैं कि मां बाप की सेवा कैसे करनी चाहिये ।

जिन्होंने आज तक बचपन में कंचे तक नहीं जीते वह बता रहे हैं
कि भारत रत्न किसे मिलना चाहीये ।

जिन्हें गली क्रिकेट में इसी शर्त पर खिलाया जाता था कि बॉल
कोई भी मारे पर अगर नाली में गयी तो निकालना तुझे
ही पड़ेगा वो आज कोहली को समझाते पाये जायेंगे की उसे
कैसे खेलना है ।

जो महाशय लडकों को भी बुरी नजर से देखते हैं
आज उन्हें नारी सुरक्षा की चिंता है ।
देश में महिलाओं की
कम जनसंख्या को देखते हुये उन्होंने नकली ID's बना कर
जनसंख्या को बराबर कर दिया है ।

जिन्हें यह तक नहीं पता
कि हुमायूं बाबर का कौन था वह आज बता रहे हैं कि
किसने कितनों को काटा था ।

कुछ हम जैसे दिन भर शायरीयाँ पेलेंगे जैसे
'गा़लिब' के असली उस्ताद तो यहीं बैठे हैं !

जो लौंडे एक बालतोड़ हो जाने पर रो रो कर पूरे मोहल्ले में
हल्ला मचा देते हैं वह देश के लिये सर कटा लेने
की बात करते दिखेंगे ।

किसी भी पार्टी का समर्थक होने में समस्या यह है कि भाजपा समर्थक को अंधभक्त,

"आप" समर्थक चूतिये तथा काँग्रेस समर्थक बेरोजगार करार दे दिये जाते हैं ।

कॉपी पेस्ट करनेवालों के तो कहने ही क्या
किसी की भी पोस्ट चेंप कर एेसे व्यवहार करेंगे जैसे
साहित्य की गंगा उसके घर से ही बहती है ।

लेकिन समाज के
असली जिम्मेदार नागरिक हैं टैगिये,
इन्हें एैसा लगता है
कि जब तक यह गुड मॉर्निंग वाले पोस्ट पर टैग नहीं करेंगे तब
तक लोगों को पता ही नही चलेगा कि सुबह हो चुकी है ।

जिनकी वजह से शादियों में गुलाबजामुन वाले स्टॉल पर एक आदमी
खड़ा रखना जरूरी है वो   आम बजट पर टिप्पणी करते हुए पाये जाते हैं...

कॉकरोच देखकर चिल्लाते हुये दस
किलोमीटर तक भागने वाले पी एम को धमका रहे होते हैं कि
"मोदी अब भी वक्त है सुधर जाओ"
क्या वक्त आ गया है वाकई

भगवान का भोग


एक ब्राम्हण था, कृष्ण के
मंदिर में बड़ी सेवा किया करता था।
.
उसकी पत्नी इस बात से
हमेशा चिढ़ती थी कि हर बात
में वह पहले भगवान को लाता।
.
भोजन हो, वस्त्र हो या हर चीज
पहले भगवान को समर्पित करता।
.
एक दिन घर में लड्डू बने।
.
ब्राम्हण ने लड्डू लिए
और भोग लगाने चल दिया।
.
पत्नी इससे नाराज हो गई,
.
कहने लगी कोई पत्थर की
मूर्ति जिंदा होकर तो खाएगी नहीं
जो हर चीज लेकर मंदिर की तरफ
दौड़ पड़ते हो।
.
अबकी बार बिना खिलाए न
लौटना, देखती हूं कैसे भगवान
खाने आते हैं।
.
बस ब्राम्हण ने भी पत्नी के
ताने सुनकर ठान ली कि बिना
भगवान को खिलाए आज मंदिर
से लौटना नहीं है।
.
मंदिर में जाकर धूनि लगा ली।
.
भगवान के सामने लड्डू रखकर
विनती करने लगा।
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एक घड़ी बीती। आधा दिन बीता,
न तो भगवान आए न ब्राम्हण हटा।
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आसपास देखने वालों
की भीड़ लग गई।
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सभी कौतुकवश देखने
लगे कि आखिर होना क्या है।
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मक्खियां भिनभिनाने लगी
ब्राम्हण उन्हें उड़ाता रहा।
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मीठे की गंध से चीटियां
भी लाईन लगाकर चली आईं।
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ब्राम्हण ने उन्हें भी हटाया,
फिर मंदिर के बाहर खड़े आवारा
कुत्ते भी ललचाकर आने लगे।
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ब्राम्हण ने उनको भी खदेड़ा।
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लड्डू पड़े देख मंदिर के
बाहर बैठे भिखारी भी आए गए।
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एक तो चला सीधे
लड्डू उठाने तो ब्राम्हण ने
जोर से थप्पड़ रसीद कर दिया।
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दिन ढल गया, शाम हो गई।
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न भगवान आए, न ब्राम्हण उठा।
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शाम से रात हो गई।
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लोगों ने सोचा
ब्राम्हण देवता पागल हो गए हैं,
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भगवान तो आने से रहे।
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धीरे-धीरे सब घर चले गए।
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ब्राम्हण को भी गुस्सा आ गया।
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लड्डू उठाकर बाहर फेंक दिए।
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भिखारी, कुत्ते,चीटी, मक्खी
तो दिनभर से ही इस घड़ी का
इंतजार कर रहे थे, सब टूट पड़े।
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उदास ब्राम्हण भगवान को
कोसता हुआ घर लौटने लगा।
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इतने सालों की सेवा बेकार
चली गई।कोई फल नहीं मिला।
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ब्राम्हण पत्नी के ताने सुनकर सो गया।
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रात को सपने में भगवान आए।
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बोले-तेरे लड्डू खाए थे मैंने।
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बहुत बढिय़ा थे, लेकिन अगर सुबह
ही खिला देता तो ज्यादा अच्छा होता।
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कितने रूप धरने पड़े
तेरे लड्डू खाने के लिए।
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मक्खी, चीटी, कुत्ता, भिखारी।
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पर तुने हाथ नहीं धरने दिया।
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दिनभर इंतजार करना पड़ा।
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आखिर में लड्डू खाए
लेकिन जमीन से उठाकर
खाने में थोड़ी मिट्टी लग गई थी।
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अगली बार लाए तो अच्छे से खिलाना।
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भगवान चले गए।
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ब्राम्हण की नींद खुल गई।
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उसे एहसास हो गया।
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भगवान तो आए थे खाने
लेकिन मैं ही उन्हें पहचान नहीं पाया।
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बस, ऐसे ही हम भी भगवान
के संकेतों को समझ नहीं पाते हैं।