Saturday, March 21, 2015

अच्छा करने से अपने आप को कभी मत रोको!

Punjabi-roti-maa
एक औरत अपने परिवार के सदस्यों के लिए रोज़ाना भोजन पकाती थी और एक रोटी वह वहाँ से गुजरने वाले किसी भी भूखे के लिए पकाती थी..।
वह उस रोटी को खिड़की के सहारे रख दिया करती थी, जिसे कोई भी ले सकता था..।
एक कुबड़ा व्यक्ति रोज़ उस रोटी को ले जाता और बजाय धन्यवाद देने के अपने रस्ते पर चलता हुआ वह कुछ इस तरह बड़बड़ाता- "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा..।"
दिन गुजरते गए और ये सिलसिला चलता रहा..
वो कुबड़ा रोज रोटी लेके जाता रहा और इन्ही शब्दों को बड़बड़ाता- "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा.।"
वह औरत उसकी इस हरकत से तंग आ गयी और मन ही मन खुद से कहने लगी की- "कितना अजीब व्यक्ति है, एक शब्द धन्यवाद का तो देता नहीं है, और न जाने क्या-क्या बड़बड़ाता रहता है, मतलब क्या है इसका.।"
एक दिन क्रोधित होकर उसने एक निर्णय लिया और बोली- "मैं इस कुबड़े से निजात पाकर रहूंगी.।"
और उसने क्या किया कि उसने उस रोटी में ज़हर मिला दिया जो वो रोज़ उसके लिए बनाती थी, और जैसे ही उसने रोटी को को खिड़की पर रखने कि कोशिश की, कि अचानक उसके हाथ कांपने लगे और रुक गये और वह बोली- "हे भगवन, मैं ये क्या करने जा रही थी.?" और उसने तुरंत उस रोटी को चूल्हे कि आँच में जला दिया..। एक ताज़ा रोटी बनायीं और खिड़की के सहारे रख दी..।
हर रोज़ कि तरह वह कुबड़ा आया और रोटी ले के: "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा, और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा" बड़बड़ाता हुआ चला गया..।
इस बात से बिलकुल बेख़बर कि उस महिला के दिमाग में क्या चल रहा है..।
हर रोज़ जब वह महिला खिड़की पर रोटी रखती थी तो वह भगवान से अपने पुत्र कि सलामती और अच्छी सेहत और घर वापसी के लिए प्रार्थना करती थी, जो कि अपने सुन्दर भविष्य के निर्माण के लिए कहीं बाहर गया हुआ था..। महीनों से उसकी कोई ख़बर नहीं थी..।
ठीक उसी शाम को उसके दरवाज़े पर एक दस्तक होती है.. वह दरवाजा खोलती है और भोंचक्की रह जाती है.. अपने बेटे को अपने सामने खड़ा देखती है..।
वह पतला और दुबला हो गया था.. उसके कपडे फटे हुए थे और वह भूखा भी था, भूख से वह कमज़ोर हो गया था..।
जैसे ही उसने अपनी माँ को देखा, उसने कहा- "माँ, यह एक चमत्कार है कि मैं यहाँ हूँ.. आज जब मैं घर से एक मील दूर था, मैं इतना भूखा था कि मैं गिर गया.. मैं मर गया होता..।
लेकिन तभी एक कुबड़ा वहां से गुज़र रहा था.. उसकी नज़र मुझ पर पड़ी और उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया.. भूख के मरे मेरे प्राण निकल रहे थे.. मैंने उससे खाने को कुछ माँगा.. उसने नि:संकोच अपनी रोटी मुझे यह कह कर दे दी कि- "मैं हर रोज़ यही खाता हूँ, लेकिन आज मुझसे ज़्यादा जरुरत इसकी तुम्हें है.. सो ये लो और अपनी भूख को तृप्त करो.।"
जैसे ही माँ ने उसकी बात सुनी, माँ का चेहरा पीला पड़ गया और अपने आप को सँभालने के लिए उसने दरवाज़े का सहारा लीया..।
उसके मस्तिष्क में वह बात घुमने लगी कि कैसे उसने सुबह रोटी में जहर मिलाया था, अगर उसने वह रोटी आग में जला के नष्ट नहीं की होती तो उसका बेटा उस रोटी को खा लेता और अंजाम होता उसकी मौत..?
और इसके बाद उसे उन शब्दों का मतलब बिलकुल स्पष्ट हो चूका था- "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा, और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा.
निष्कर्ष : हमेशा अच्छा करो और अच्छा करने से अपने आप को कभी मत रोको, फिर चाहे उसके लिए उस समय आपकी सराहना या प्रशंसा हो या ना हो..।

Shocking News About Indian Scientists

Nuclear-scientist-death
भारत देश की जनसंख्या 1 अरब 25 करोड़ है।
Active Military की संख्या 13 लाख 25 हज़ार है।
इस देश में 2 सैनिकों की हत्या होने की कीमत लगभग 2000 नागरिकों के जीवन पर संकट होने के बराबर है।
सोचिये इस देश के 1 परमाणु वैज्ञानिक की हत्या की क्या कीमत चुकानी पड़ेगी???
लेकिन हम चुका रहे हैं।
हममें से अनेक व्यक्ति इस बात से अनजान हैं।
हमें ये पता है की आज सलमान ने क्या किया ?
मोदीजी ने क्या पहन ?
या केजरीवाल ने कितनी बार खाँसा ?
लेकिन क्या हमें ये पता है की वर्ष 2009 से 2013 के बीच इस देश के 10 परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या कर दी गई ???
ये सभी वैज्ञानिक देश के अनेक projects से जुड़े हुए थे। नहीं पता है ना !!!
क्योंकि अभी हम व्यस्त हैं क्रिकेट वर्ल्ड कप में, हम busy हैं दिल्ली के ड्रामे में, हम व्यस्त हैं पाकिस्तान क्रिकेट टीम की हार का उत्सव मनाने में।
1995 से लेकर 2010 तक इस देश के 32 केंन्द्रों के 197 परमाणु वैज्ञानिकों की रहस्यमय मृत्यु हुई है। हमें पता ही नहीं।
BARC के वैज्ञानिक M. Padmnabhan (48) की लाश उनके ही फ्लैट में मिली।
सप्ताह-भर से लापता CAG परमाणु-संयन्त्र से जुड़े Senior Engineer L.N. Mahalingam की लाश काली नदी में तैरती पाई जाती है।
वर्ष 2013 में विशाखापत्तनम में Railway track के किनारे 2 वैज्ञानिकों KK Josh & Abhish Shivam की लाश मिलती है, ये दोनों वैज्ञानिक देश की पहली स्वदेशी पनडुब्बी "अरिहन्त" के निर्माण से जुड़े थे।
क्या हमें पता चला इन सबकी हत्या कैसे हुई ???
क्यों News Channels ने हमें इन घटनाओं से बेख़बर रखा ???
इन सबकी हत्याओं में जो तरीके अपनाये गए वे दुनिया की कुछ चुनिंदा खुफिया एजेन्सी ही अपनाती हैं, जिनमें CIA, KGB, MI6, Mossad और ISI जैसी एजेंसियाँ शामिल हैं।
भारत देश के परमाणु कार्यक्रम के जनक Dr. Homi Jahangir Bhabha की हत्या CIA ने की थी।
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आरटीआई लिखने का तरीका

rti-writing-ways
RTI मलतब सूचना का अधिकार - ये कानून हमारे देश मे 2005 मे लागू हुआ| जिस का उपयोग कर के आप सरकार और किसी भी विभाग से सूचना मांग सकते है आम तौर पर लोगो को इतना ही पता होता है| परंतु आज मैं आप को इस के बारे मे कुछ ओर रोचक जानकारी देता हूँ -
आरटीआई से आप सरकार से कोई भी सवाल पूछ कर सूचना ले सकते है आरटीआई से आप सरकार के किसी भी दस्तावेज़
की जांच कर सकते है आरटीआई से आप दस्तावेज़ या Document की प्रमाणित Copy ले सकते है आरटीआई से आप सरकारी काम काज
मे इस्तमल सामग्री का नमूना ले सकते है, आरटीआई से आप
किसी भी कामकाज का निरीक्षण कर सकते है
कुछ लोगो का सवाल मुझे मैसेज मे आया कि आरटीआई मे कौन- कौन सी धारा हमारे काम की है तो उसका जवाब
भी मैं यहाँ लिख देता हूँ -
*धारा 6 (1) - आरटीआई का application लिखने की धारा है
*धारा 6 (3) - अगर आप की application गलत विभाग मे चली गयी है तो गलत विभाग
इस को 6 (3) धारा के अंतर्गत सही विभाग मे 5 दिन के अंदर भेज देगा !
*धारा 7(5) - इस धारा के अनुसार BPL कार्ड वालों को कोई आरटीआई शुल्क नही देना होता
*धारा 7 (6) - इस धारा के अनुसार अगर आरटीआई का जवाब 30 दिन मे नही आता है
तो सूचना फ्री मे दी जाएगी
*धारा 18 - अगर कोई अधिकारी जवाब नही देता तो उस की शिकायत सूचना अधिकारी को दी जाए
*धारा 8 - इस के अनुसार वो सूचना आरटीआई मे नही दी जाएगी जो देश की अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा हो या विभाग की आंतरिक जांच को प्रभावित करती हो
*धारा 19 (1) - अगर आप
की आरटीआई का जवाब 30 दिन मे नही आता है तो इस
धारा के अनुसार आप प्रथम अपील अधिकारी को प्रथम अपील कर सकते
हो
*धारा 19 (3) - अगर आप की प्रथम अपील का भी जवाब नही आता है तो आप इस धारा की मदद से 90 दिन के अंदर 2nd
अपील अधिकारी को अपील कर सकते हो , किसी ने पूछा था कि आरटीआई कैसे लिखे
इस के लिए आप एक साधा पेपर ले और उस मे1 इंच की कोने से जगह छोड़े और नीचे दिए गए प्रारूप मे अपनी आरटीआई लिख ले
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सूचना का अधिकार 2005 की धारा 6(1) और 6(3) के अंतर्गत आवेदन सेवा मे (अधिकारी का पद)/ जन सूचना अधिकारी
विभाग का नाम
विषय - आरटीआई act 2005 के अंतर्गत ...............
... से संबधित सूचनाए
1- अपने सवाल यहाँ लिखे
2-
3
4
मैं आवेदन फीस के रूपमें 10रू का पोस्टल ऑर्डर ........ संख्या अलग से जमा कर रहा /रही हूं।
या मैं बी.पी.एल. कार्डधारी हूं इसलिए सभी देय शुल्कों से मुक्त हूं। मेरा बी.पी.एल.कार्ड
नं..............है।
यदि मांगी गई सूचना आपके विभाग/कार्यालय से सम्बंधित
नहीं हो तो सूचना का अधिकार अधिनियम,2005 की धारा 6 (3) का संज्ञान लेते हुए मेरा आवेदन सम्बंधित लोक सूचना अधिकारी को पांच दिनों के समयाविध् के अन्तर्गत हस्तान्तरित करें। साथ ही अधिनियम के प्रावधानों के तहत
सूचना उपलब्ध् कराते समय प्रथम अपील अधिकारी का नाम व पता अवश्य बतायें।
भवदीय
नाम:
पता:
फोन नं:
..........................................
.............................
..........................................
.............................
ये सब लिखने के बाद अपने Sign कर दे !
अब मित्रो केंद्र से सूचना मांगने के लिए आप 10 रु देते है और एक पेपर की कॉपी मांगने के 2 रु देते है और हर राज्य का आरटीआई शुल्क अगल अलग है (Haryana Rs 50) !!!

कमी में भी गुण देखना

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बहुत समय पहले की बात है , किसी गाँव में एक किसान रहता था . वह रोज़ भोर में उठकर दूर झरनों से स्वच्छ पानी लेने जाया करता था . इस काम के लिए वह अपने साथ दो बड़े घड़े ले जाता था , जिन्हें वो डंडे में बाँध कर अपने कंधे पर दोनों ओर लटका लेता था .
उनमे से एक घड़ा कहीं से फूटा हुआ था ,और दूसरा एक दम सही था . इस वजह से रोज़ घर पहुँचते -पहुचते किसान के पास डेढ़ घड़ा पानी ही बच पाता था .ऐसा दो सालों से चल रहा था .
सही घड़े को इस बात का घमंड था कि वो पूरा का पूरा पानी घर पहुंचता है और उसके अन्दर कोई कमी नहीं है , वहीँ दूसरी तरफ फूटा घड़ा इस बात से शर्मिंदा रहता था कि वो आधा पानी ही घर तक पंहुचा पाता है और किसान की मेहनत बेकार चली जाती है . फूटा घड़ा ये सब सोच कर बहुत परेशान रहने लगा और एक दिन उससे रहा नहीं गया , उसने किसान से कहा , “ मैं खुद पर शर्मिंदा हूँ और आपसे क्षमा मांगना चाहता हूँ ?”
“क्यों ? “ , किसान ने पूछा , “ तुम किस बात से शर्मिंदा हो ?”
“शायद आप नहीं जानते पर मैं एक जगह से फूटा हुआ हूँ , और पिछले दो सालों से मुझे जितना पानी घर पहुँचाना चाहिए था बस उसका आधा ही पहुंचा पाया हूँ , मेरे अन्दर ये बहुत बड़ी कमी है , और इस वजह से आपकी मेहनत बर्वाद होती रही है .”, फूटे घड़े ने दुखी होते हुए कहा.
किसान को घड़े की बात सुनकर थोडा दुःख हुआ और वह बोला , “ कोई बात नहीं , मैं चाहता हूँ कि आज लौटते वक़्त तुम रास्ते में पड़ने वाले सुन्दर फूलों को देखो .”
घड़े ने वैसा ही किया , वह रास्ते भर सुन्दर फूलों को देखता आया , ऐसा करने से उसकी उदासी कुछ दूर हुई पर घर पहुँचते – पहुँचते फिर उसके अन्दर से आधा पानी गिर चुका था, वो मायूस हो गया और किसान से क्षमा मांगने लगा .
किसान बोला ,” शायद तुमने ध्यान नहीं दिया पूरे रास्ते में जितने भी फूल थे वो बस तुम्हारी तरफ ही थे , सही घड़े की तरफ एक भी फूल नहीं था . ऐसा इसलिए क्योंकि मैं हमेशा से तुम्हारे अन्दर की कमी को जानता था , और मैंने उसका लाभ उठाया . मैंने तुम्हारे तरफ वाले रास्ते पर रंग -बिरंगे फूलों के बीज बो दिए थे , तुम रोज़ थोडा-थोडा कर के उन्हें सींचते रहे और पूरे रास्ते को इतना खूबसूरत बना दिया . आज तुम्हारी वजह से ही मैं इन फूलों को भगवान को अर्पित कर पाता हूँ और अपना घर सुन्दर बना पाता हूँ . तुम्ही सोचो अगर तुम जैसे हो वैसे नहीं होते तो भला क्या मैं ये सब कुछ कर पाता ?”
सीख-दोस्तों हम सभी के अन्दर कोई ना कोई कमी होती है , पर यही कमियां हमें अनोखा बनाती हैं . उस किसान की तरह हमें भी हर किसी को वो जैसा है वैसे ही स्वीकारना चाहिए और उसकी अच्छाई की तरफ ध्यान देना चाहिए, और जब हम ऐसा करेंगे तब “फूटा घड़ा” भी “अच्छे घड़े” से मूल्यवान हो जायेगा.
सभी मित्रों को समर्पित :)